शासन की सुराजी गांव योजना क्रांति के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं में जागृति लाने की बनी एक वजह

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कलेक्टर ने गौठान निर्माण एवं आजीविका संवर्धन कार्यों को किया विस्तार प्रदान

जिले में 2 करोड़ 2 लाख की लागत से कुल 26 नवीन गौठान तथा 6 करोड़ की लागत से 207 से अधिक मुर्गी शेड की स्वीकृति प्रदान की

रायपुर| शासन की सुराजी गांव योजना एक वजह बनी है क्रांति के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं में जागृति लाने की। समूह की महिलाएं अपने हुनर एवं मेहनत से अपनी पहचान बना रही हैं। जिले में जहाँ एक ओर ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बन रही है वहीं दूसरी ओर महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं सशक्तिकरण की इबारत लिख रही हैं।  कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने गौठान निर्माण एवं आजीविका संवर्धन कार्यों को विस्तार प्रदान करते हुए आज जिले अंतर्गत लगभग 2 करोड़ 2 लाख की लागत से कुल 26 नवीन गौठान तथा लगभग 6 करोड़ की लागत से 207 से अधिक मुर्गी शेड की स्वीकृति प्रदान की है।

 

 

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कलेक्टर श्री सिंह ने जनपद पंचायत छुईखदान में 3, छुरिया में 2, डोंगरगांव में 2, डोंगरगढ़ में 8, खैरागढ़ में 6, मोहला में 2 तथा राजनांदगांव जनपद पंचायत में 5 नवीन गौठान निर्माण की स्वीकृति दी है। इसी तरह कुक्कुट पालन परियोजना हेतु जनपद पंचायत अंबागढ़ चौकी में 19, छुईखदान में 38, छुरिया में 22, डोंगरगांव में 11, डोंगरगढ़ में 37, खैरागढ़ में 18, मोहला में 41, मानपुर में18 तथा राजनांदगांव में 3 कुक्कुट शेड निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई है। उन्होंने शेड के निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूर्ण किये जाने हेतु जनपद पंचायतों को निर्देशित किया है। जिससे ग्राम पंचायतों के महिला स्वसहायता समूह की सदस्य इन भवनों में मुर्गीपालन कर अपनी आमदनी बढ़ा सके। जिले के सभी ग्राम पंचायतों में शत प्रतिशत गौठान के निर्माण की दिशा में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं।

 

 

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कलेक्टर ने गोधन न्याय योजना के तहत सभी गौठानों में गोबर खरीदी के निर्देश दिए हैं। जिले के गौठानों में आजीविका मूलक गतिविधि संचालित होने से समूह की महिलाओं में उत्साह एवं खुशी है। वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, सामुदायिक बाड़ी, मत्स्य पालन, मुर्गीपालन, बटेरपालन, बकरीपालन, मशरूम उत्पादन, अगरबत्ती, चंदन निर्माण, पापड़, बड़ी, आचार सहित विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। महिला समूह द्वारा स्थानीय स्तर पर तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री सी-मार्ट के माध्यम से की जा रही है। शासकीय विभागों द्वारा समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद खरीदे जा रहे हैं। समूह की महिलाएं अपने घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर कार्य कर रही है और गौठान से प्राप्त आमदनी से अपने परिवार की मदद कर रही हैं।

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